TULSI - 35th Year in the service of Indian Society
तुलसी संस्था का गठन इंडियन सोसाइटीज़ रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अंतर्गत 1987 में किया गया था। नाम के अनुरूप ही "तुलसी" संस्था का मुख्य उद्देश्य लोगों के घर-परिवार में सुख-शांति बढ़ाने और परिवार के सदस्यों का अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने में सहयोग करना है।
गत 34 वर्षों में संस्था के उद्देश्य की पूर्ति हेतु इसके सभी सदस्य और कार्यकारिणी सदस्य निरंतर कार्य करते रहे। किसी भी कारणो से समाज में तिरस्कृत हुए बच्चो और महिलाओं की मदद की गयी। घर-परिवार के सदस्यों के बीच आपसी कलेश को दूर कर उनके बीच आपसी तालमेल बैठने के लिए सलाह दी जाती रही है। गरीब महिलाओं को स्वावलंबी बनाया गया। कन्याओं के विवाह में आर्थिक और अन्य प्रकार के सहयोग किए गए। समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ लोगों को विभिन्न माध्यमों के द्वारा जागरूक किया गया। सेमिनार व सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि किए गए। आवश्यकता पढ़ने पर जलूस और धरना-प्रदर्शन आदि भी किए गए।
परिवार कल्याण के अतिरिक्त लोगों के अच्छे स्वस्थ्य के लिए अनेक चिकित्सा कैंप लगाए गए और समय समय पर अनेक बीमारियों के लक्षणों और उनके उपचार के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों के लोगों के बीच प्रचार के लिए कार्यक्रम आयोजित किए गए।
गत तीन दशकों में संस्था और इसके सदस्यों द्वारा किए गए समाज सेवा के कार्यों से प्रभावित होकर ही महान संत और "सर्वेशर नारायण अनाथ गोसेवा समिति", माँट, मथुरा के संचालक श्री दिगंबर नागा बाबा ने अपनी निजी 32,500 वर्ग गज भूमि संस्था को जनसेवार्थ हस्पताल और वृद्धाश्रम का निर्माण करने और उसे संचालित करने के लिए तुलसी संस्था को दी है। पहले इस भूमि का लैंड-यूज कृषि योग्य भूमि था जिसे संस्था ने स्थानीय प्रशासन से अकृषक भूमि में परिवर्तित करवा कर भवन निर्माण हेतु अनापत्ति प्रमाण-पत्र ले लिया गया है।